जल बिन मछली जी सकती है सपनों का अपार भंडार उनके भीतर जल उनका मार्ग इधर-उधर अन्दर-बाहर सपने उनके भीतर जल उनके बाहर।
हिंदी समय में ए. अरविंदाक्षन की रचनाएँ